वेकैंया ने बिल्कुल सही किया है। बचा रहेगा दलाल और दलाली!



जितेन्द्र कुमार 

क्या लगता था-  शाबाशी देगा?

उपराष्ट्रपति महाभियोग प्रस्ताव को मंजूरी देगा? क्या सुमित्रा महाजन सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को मंजूर करेगी? कितने भोले हैं आप लोग बंधुवर।

अगर ये सब नहीं करना होता तो किसी समझदार आदमी को उपराष्ट्रपति बनाया जाता न कि घनघोर संघी परिवार सहित भ्रष्टाचार की जड़ में आकंठ डूबे वेकैंया नायडू को। क्या आप भूल गए कि इसी महाशय ने कहा था कि मोदी भगवान का अवतार है! क्या आप भूल गए कि इन महाशय का बेटा देश के सबसे बड़े टोयोटा कार का डीलर है जिसकी सैकड़ों गाड़ियां वहां की सरकार को ठेके पर सप्लाई की जाती हैं। उपराष्ट्रपति चुनाव के पहले से कुछ बातें छनकर मीडिया में और सोशल मीडिया में तो बहुत सी बातें आई थीं। लेकिन क्या हुआ? प्रधानसेवक जी ने तब भी उसी व्यक्ति को उपराष्ट्रपति बनाया। इसलिए बनाया कि अगर ऐसी कभी कोई घड़ी आ गई तो वे सज्जन काम आएंगे। और यह कोई अलहदा मामला नहीं है। पिछले चार साल की नियुक्तियों और पदेन नियुक्तियों को देखिए, हर जगह एक ‘कम्‍प्रोमाइज्‍़ड’ कैंडिडेट सामने दिखाई देगा।

जस्टिस खेहर चीफ जस्टीस बनने से पहले बिड़ला-सहारा पेपर केस मिश्रा जी के साथ देख रहे थे। इसी में प्रधानसेवक जी का भी नाम आया था। तब वे गुजरात के ‘राजा’  थे। खेहर के सुपुत्र वीरेन्द्रर सिंह खेहर का नाम कालिखो पुल के सुसाइड नोट में दीपक मिश्रा के भाई आदित्य मिश्रा के साथ ही आया था। खेहर और मिश्रा जी ने प्रधानसेवक को बरी किया, तब जाकर पहले खेहर और बाद में हमारे मिश्रा जी प्रधान न्यायधीश बने। अब चूंकि चाबी प्रधानसेवक जी के हाथ में थी, सुप्रीम कोर्ट में वही सब हुआ जो प्रधानसेवकजी या उसके लोग चाहते थे। जस्टिस लोया वाले मामले में यहीं सब बातें उठाने के लिए तो सुप्रीम कोर्ट के चार सबसे वरिष्ठ जजों ने प्रेस कांफ्रेंस किया था! लेकिन क्या हुआ? सारे प्रतिबद्ध जजों को सत्ता प्रतिष्ठान में बैठे दलालों द्वारा बदनाम किया गया और सत्ता के दलालों को इज्जत बख्शी गई। सोली सोराबजी और फली एस नरीमन जैसे लोग कह रहे हैं कि चीफ जस्टिस मिश्रा गड़बड़ कर रहे हैं, लेकिन महाभियोग लाना ठीक नहीं है। जब नरीमन से दुष्यंत दवे ने पूछा कि दूसरा और क्या उपाय हो सकता है तब नरीमन का कहना है कि मुझे नहीं पता, लेकिन यह ठीक नहीं है!

खेहर ने मिश्रा जी के साथ मिलकर बिड़ला-सहारा पेपर में प्रधानसेवक को बेगुनाह कहा, अपने बेटे और भाई को बचाया। मिश्रा जी ने जस्टिस लोया वाले मामले को खारिज किया, अमित शाह और अपने भाई को बचाया। मिश्रा जी ने इसी मामले में अमित भाई को बचाकर प्रसाद मेडिकल कालेज में पैसे लेकर फेवरेबल जजमेंट दिलाने के आरोप में अपने को भी बचाया।

आज वेकैंया नायडू ने अविश्वास प्रस्ताव खारिज करके अपनी कुर्सी और अपने परिवार को बचाया।

हमारे देश में सबकुछ बचा रहेगा, बस संस्थाएं नष्ट होंगी, देश की आत्मा नष्ट होंगी, आपस में सब बचे रहेगें, कुर्सियां इसलिए तो बनाई जाती हैं कि हम बचे रहें, मर्यादा और मनुष्यता भले ही खत्म हो जाए!

वेकैंया ने बिल्कुल सही किया है। बचा रहेगा दलाल और दलाली!

‘भारत माता की जय’!