मौनव्रतधारी सांसद आर.के. सिन्हा के गार्ड ने महादलित से दुष्कर्म की कोशिश की, विरोध पर फायरिंग



सुधीर सुमन / आरा, बिहार

सुबह-सुबह एक साथी ने एक सूचना दी, सूचना को कन्फर्म करने के लिए मैंने अखबारों को देखा, तो उनमें यह खबर थी कि कल शाम में बहियारा (भोजपुर) के एक स्कूल के सिक्यूरिटी गार्ड ने शौच करने जा रही महादलित समुदाय की दो बहनों में से बड़ी बहन के साथ दुष्कर्म का प्रयास किया, जब लोगों ने विरोध किया तो उसने फायरिंग कर दी, जिसमें छोटी बहन घायल हो गई है। जो महत्वपूर्ण तथ्य अखबारों में नहीं था, वह यह था कि वह स्कूल, जिसका नाम रामानंदी योगानंद लाल सरस्वती शिशु मंदिर है, भाजपा के राज्य सभा सांसद आर. के. सिन्हा का है, आज जिनका नाम एक दूसरे कारण से सुखिर्यों में है।

पैराडाइज पेपर्स के नाम से हुए खुलासे में दुनिया भर के काला धन वालों की जो सूची सामने आई है, उसमें आर.के.सिन्हा का नाम भी शामिल है। अभी हाल में जियर स्वामी के महायज्ञ के समय भी ये चर्चा में आए थे। चर्चा यह है कि आरा के रामनगर में आर.एस.एस. के कार्यालय के लिए जमीन दिलाने में इनकी ही प्रमुख भूमिका रही है। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने आरा आकर उस आॅफिस का शिलान्यास किया। जियर स्वामी का महायज्ञ दरअसल संघ और भाजपा का एक राजनीतिक आयोजन ही था। आर.के.सिन्हा के बारे में थोड़ा और तलाशने पर मीडियाविजिल के वेबसाइट से यह पता चला कि आर.के.सिन्हा संघ के करीबी माने जाते हैं और संघ की आधिकारिक समाचार एजेंसी हिंदुस्थान समाचार भी चलाते हैं। दूसरी सूचना यह मिली कि आर.के. सिन्हा देश की दूसरी बड़ी सिक्यूरिटी एजेंसी एसआइएस एशिया पैसिफिक चलाते हैं।

तो यह है काला धन, सामंती-वर्णवादी-सांप्रदायिक दिमाग और कारपोरेट के गठजोड़ की ताकत जिससे समाज में फासिस्ट राजनैतिक-सामाजिक प्रवृत्ति को बल मिल रहा है। वर्ना एक स्कूल के सिक्यूरिटी गार्ड की यह हिम्मत न होती कि वह किसी बच्ची के साथ दुष्कर्म करने का प्रयास करे और विरोध करने पर गोली चला दे। बच्ची की मां चंद्रावती देवी उस स्कूल के सिक्यूरिटी गार्ड को आर.के. सिन्हा का ही गार्ड कह रही थीं, इसलिए कि उनके अनुसार, आर. के. सिन्हा ही पंद्रह-बीस दिन पहले उस सिक्यूरिटी गार्ड को ले आए थे।

हुआ यह कि सुबह भाकपा-माले विधायक सुदामा प्रसाद को जब सूचना मिली, तो वे पीड़ित परिवार से मिलने आरा सदर अस्पताल गए। मैं भी साथ हो लिया। वहां पता चला कि वे लोग एक्सरे के लिए गए हैं। लगभग आधा घंटे तक हमलोग वार्ड से एक्सरे रूम के बीच उन्हें ढूंढते रहे। अस्पताल के पदाधिकारी को फोन किया गया। अस्पताल की गंदगी, रोगियों की भीड़, भारी अस्तव्यस्तता के बीच हमने पाया कि एक्सरे से पूर्व की कागजी प्रक्रिया पूरा करने के चक्कर में वह महिला लगी हुई थीं। साथ में जख्मी लड़की और एक और महिला थी। अस्पताल के स्टाफ ने उन्हें सिर्फ यह कह दिया था कि जाकर एक्सरे करवा लें। खैर, सुदामा प्रसाद की मौजूदगी के कारण तुरत एक्सरे हो पाया।

पीड़ित लड़कियों के पिता का नाम चुन्ना नट है। उनकी पत्नी चंद्रावती देवी ने घटना के बारे में बताया कि उनकी 12 साल की बेटी सुगिया और पांच साल की बेटी बहरसी (शौच) के लिए गई थी, तभी गार्ड बड़ी बेटी को कोरा में (बाहों में) उठाकर स्कूल में ले जाने लगा। इस पर वह जोर से चिल्लाई। इसके बाद चंद्रावती दौड़ते-भागते वहां पहुंची बोलीं- ‘अइसन काहे करत बानी गार्ड जी। राउर बेटी आउ हमार बेटी कवनो बांटल बा?’ (ऐसा क्यों कर रहे हैं, क्या आपकी और मेरी बेटी भिन्न है)? चंद्रावती देवी ने गार्ड को हल्का धक्का दिया कि वह उनकी बेटी को छोड़ दे, इस पर उसने टार्च से उनके माथे पर हमला कर दिया। तब तक गांव के लोग भी जुट गए, उन लोगों ने गार्ड को दो-चार तमाचे लगाए, इसके बाद उसने चार बार फायरिंग की। चंद्रावती देवी का कहना था कि वह उन्हें ही मारना चाहता था, पर गोली छोटी बेटी ज्ञान्ती को लग गई। हमने देखा कि गोली ज्ञान्ती के बाहों को छेदते हुए बाहर निकल गई थी।

इधर खबर यह है कि आर.के. सिन्हा से पैराडाइज पेपर्स के बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने लिखकर जवाब दिया कि वे सात दिन के भागवत यज्ञ में मौन व्रत है। जहां तक उनके स्कूल के सिक्यूरिटी गार्ड के कुकृत्य का सवाल है, ज्यादा संभव है वे उसी पर आरोप मढ़कर मुक्त हो लें, लेकिन जमीनी स्तर से लेकर ‘पैराडाइज’ वर्ल्ड तक यह तो स्पष्ट नजर आ रहा है कि भाजपा के ये नेता स्त्रियों, दलितों और अल्पसंख्यकों के साथ-साथ आम जनता के भी विरोधी हैं।


लेखक संस्कृतिकर्मी हैं. यह खबर उनकी फेसबुक पोस्ट से साभार है.