50 K.M दूरी घटाने को कटेंगे 3 लाख पेड़, 8 पहाड़ और बर्बाद होगी 8 हज़ार हेक्टयेर ज़मीन !



रवीश कुमार

 

मिलनाडू में चेन्नै और सलेम के बीच 277 किमी के सुपर हाईवे के विरोध किसान सड़क पर हैं। वहां यह मसला काफी बड़ा हो चुका है। पिछले शुक्रवार को इस प्रोजेक्ट से जुड़े सरकारी आदेश की प्रतियां जलाने के कारण 64 लोगों को गिरफ्तार भी किया। पीयूष मानूस और मंसूर अली ख़ान को गिरप्तार किया गया था।

277 किमी का यह प्रोजेक्ट भारतमाला योजना का हिस्सा है जो चेन्नई को सलेम से जोड़ेगा। छह ज़िलों से गुज़रने वाले इस हाईवे के कारण चेन्नई और सलेम के बीच की दूरी 50 किमी कम हो जाएगी और समय भी कम लगेगा।

क्या 50 किमी दूरी कम करने के लिए इतना पैसा और प्राकृतिक संसाधन ख़त्म कर देना चाहिए? आलोचक कहते हैं कि यह एक्सप्रेस चेन्नई शहर के भीतरी हिस्से से 36 किमी दूर है यानी चेन्नई वालों को इस पर पहुंचने के लिए काफी समय लगेगा। इस समय का हिसाब प्रोजेक्ट में नहीं है। साथ ही इसके कारण 8000 हज़ार हेक्टर ज़मीन में फैले प्राकृतिक संसाधन और उपजाऊ खेत बर्बाद हो जाएंगे।

 

 

पर्यावरणविद कहते हैं कि तीन लाख पेड़ काटे जाएंगे। कई झील बर्बाद हो जाएंगे और नदियां भी चपेट में आ जाएंगी। 8 पहाड़ों को काटना होगा। सरकारी बयान में कहा जा रहा है कि मात्र 6000 पेड़ काटे जाएंगे। किसान इसके लिए अपनी उपजाऊ ज़मीन देने को लेकर संतुष्ट नहीं हैं। उनके मन में सवाल है कि इस प्रोजेक्ट का फायदा क्या है, ख़ासकर तब जब चेन्नई से सलेम के बीच तीन तीन हाईवे हैं जो चार से छह लेन के हैं। फिर एक और हाईवे की क्या ज़रूरत है।

इस प्रोजेक्ट को कवर करने गए तीन पत्रकारों को भी गिरफ्तार किया गया है। वे इस प्रोजेक्ट के विरोध में चल रहे प्रदर्शनों को कवर कर रहे थे। मातृभूमि के रिपोर्टर के अनूप दास, कैमरामैन मुरुगन और कार ड्राईवर रज़ाक को गिरफ्तार किया। सीपीएम के मुखपत्र Theekkathi के रिपोर्टर कैमरामैन को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया है।

 

 

उधर, 500 करोड़ की ज़मीन पर बुलेट ट्रेन न चल जाए, इसके ख़िलाफ़ गोदरेज समूह बंबई हाई कोर्ट चला गया है। विख्रोली में उसकी ज़मीन प्रस्तावित बुलेट ट्रेन की ज़द में आने वाली है। कंपनी अपनी ज़मीन नहीं देना चाहती है। इसलिए वह चाहती है कि प्रोजेक्ट के रास्ते में बदलाव किया जाए ताकि उसकी ज़मीन अधिग्रहण से बच जाए। बिजनेस स्टैंडर्ड में 9 जुलाई को शिने जेकब और राघवेंद्र कामथ की यह रिपोर्ट छपी है। इस रिपोर्ट में गोदरेज वालों की तरफ से जवाब नहीं है।

करीब 7000 किसानों, 15,000 परिवारों और 60,000 लोगों की ज़मीन इस प्रोजेक्ट के कारण जाने वाली है। किसान इसका विरोध भी कर रहे हैं। क्या कंपनी भी किसानों के साथ आकर विरोध करेगी या फिर सिर्फ अपनी ज़मीन बचाएगी। अदालत ऐसा तो करेगी नहीं वरना लोगों की नज़र में उसकी क्या छवि बनेगी। अधिग्रहण कानून के हिसाब से सरकार चाहे तो गोदरेज की ज़मीन का अधिग्रहण कर सकती है।

इन दोनों न्यूज़ आइटम के लिए मैंने यू ट्यूब पर मौजूद ROOSTER NEWS का सहारा लिया, बिजनेस स्टैंडर्ड, हिन्दू,इंडियन एक्सप्रेस और एनडीटीवी डॉट काम पर छपे लेख को पढ़ा है।

 

लेखक मशहूर टीवी पत्रकार हैं।

 

तस्वीरें एनडीटीवी और ग्राफ़िक्स द हिंदू से साभार प्रकाशित