नास्तिक सम्‍मेलन में फोटोपत्रकार पर हिंसा के आरोपी को पुलिस का क्‍लीन चिट, आयोजक भूमिगत

Mediavigil Desk
ग्राउंड रिपोर्ट Published On :


उत्‍तर प्रदेश के वृंदावन में अक्‍टूबर, 2016 में प्रस्‍तावित दो दिवसीय नास्तिक सम्‍मेलन को लेकर काफी बवाल हुआ था। यह सम्‍मेलन एक स्‍वयंभू नास्तिक गुरु स्‍वामी बालेंदु ने बुलवाया था। सम्‍मेलन तो स्‍थानीय लोगों के विरोध और बवाल के कारण रद्द हो गया, लेकिन कुल 14 महीने बाद सामने आए सरकारी दस्‍तावेज़ बताते हैं कि यूपी पुलिस ने उस दौरान हुई हिंसा के मुख्‍य आरोपी मृदुलकान्‍त शास्‍त्री को क्‍लीन चिट देकर खुद बालेंदु और उसके भाइयों को गिरफ्तार करने के चक्‍कर में है, जो तब से ही फ़रार हैं।

इधर बालेन्‍दु, यशेन्‍दु व पूर्णेन्‍दु के 80 वर्षीय पिता बालकराम ने हिंसा में पीडि़त महिला फोटोपत्रकार सर्वेश के खिलाफ एक शपथपत्र दाखिल कर दिया है और आरोपी ने भी हिंसा का सारा दोष पत्रकार के कंधे पर ही डाल दिया है।

इस पूरे प्रकरण में हिंसा का शिकार हुई थीं वरिष्‍ठ फोटो पत्रकार सर्वेश, जिन्‍होंने बाद में भारतीय प्रेस परिषद (पीसीआइ) में एक शिकायत दर्ज करवायी थी। 20 अक्‍टूबर 2016 को पीसीआइ को भेजी लिखित शिकायत में सर्वेश ने 14 अक्‍टूबर, 2016 को अपने साथ हुई मारपीट का जि़क्र करते हुए पथरपुरा के आचार्य मृदुलकान्‍त शास्‍त्री को दोषी ठहराया था। प्रेस परिषद की ओर से उन्‍हें 11.12.2017 को एक पत्र प्राप्‍त हुआ है जिससे साल भर में पहली बार मामले की अद्यतन जानकारी मिलती है।

पत्रकारिता में ढाई दशक से ज्‍यादा का अनुभव रखने वाली फोटोजनर्लिस्‍ट सर्वेश इस बात से हैरान हैं कि आखिर बालेन्‍दु स्‍वामी और उनके भाई सामने आकर क्‍यों नहीं लड़ रहे, भाग क्‍यों गए। उनका मानना है कि बालेन्‍दु की गैर-मौजूदगी में पुलिस ने उसके पिता पर दबाव डाला है जिसके चलते बालकराम ने सर्वेश को ही हिंसा का दोषी ठहरा दिया है। इसके अलावा प्रेस काउंसिल को अब तक राज्‍य सरकार और मथुरा एसपी की ओर से मामले की रिपोर्ट न भेजा जाना भी साजिश की ओर इशारा करता है।

बालेन्‍दु स्‍वामी

प्रेस परिषद द्वारा सर्वेश को भेजा गया पत्र कहता है कि परिषद द्वारा गठित आंतरिक जांच कमेटी ने 20.09.2017 को हुई अपनी बैठक में निम्‍न आदेश पारित किया है:

”उत्‍तर प्रदेश सरकार और मथुरा के पुलिस अधीक्षक से रिपोर्ट मंगवाई गई थी। अब तक कोई रिपोर्ट नहीं आई है इसलिए जांच समिति सचिवालय को निर्देश देती है कि चार सप्‍ताह के भीतर रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए रिमाइंडर भेजे। आचार्य मृदुल शास्‍त्री द्वारा दिया गया जवाब शिकायतकर्ता को उपलब्‍ध करवाया जा रहा है। उपयुक्‍त निर्देश के साथ जांच कमेटी मामले को स्‍थगित करती है।”

ध्‍यान रहे कि 2016 के अक्‍टूबर में बहुचर्चित ”ऐंवेंइ मस्‍ती विद नास्तिक फ्रेंड्स” नाम के एक आयोजन का आह्वान बालेन्‍दु स्‍वामी ने किया था। सोशल मीडिया पर बाकायदे इस आयोजन का प्रचार किया गया था। वृंदावन जाने वालों में तमाम लेखक, बुद्धिजीवी, पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता थे। स्‍थानीय साधु-संतों के विरोध के चलते 14 अक्‍टूबर को काफी हिंसा हुई और बालेन्‍दु स्‍वामी अपने दोनों भाइयों के साथ फरार हो गया। उस वक्‍त हिंसा का काफी विरोध भी हुआ।

बाएं सर्वेश की पीसीआइ में शिकायत और दाहिने आरोपी शास्‍त्री का भेजा जवाब

उस वक्‍त हिंसा व मारपीट के आरोपी रहे मृदुल शास्‍त्री ने प्रेस परिषद को भेजे अपने जवाब में गिनाए चार बिंदुओं में से पहले बिंदु में अपने ऊपर लगे आरोपों को ”असत्‍य व निराधार” बताते हुए अपनी ”प्रतिष्‍ठा को धूमिल” करने वाला करार दिया है। बाकी तीन बिंदुओं में शास्‍त्री ने परिष्‍ठ फोटोपत्रकार सर्वेश पर कुछ गंभीर आरोप लगाए हैं और कहा है कि प्रेस परिषद में शिकायत करने का उन्‍हें कोई अधिकार नहीं है क्‍योंकि वे वहां आयोजन कवर करने नहीं, प्रतिभागी की हेसियत से आई थीं।

एसएसपी मथुरा की ओर प्रेस काउंसिल को 20/09/17 को प्रेषित जवाब कहता है:

”आवेदिका उपरोक्‍त के साथ विपक्षी मृदुलकान्‍त शास्‍त्री द्वारा धक्‍कामुक्‍की अथवा मारपीट किए जाने के तथ्‍य साक्ष्‍य के अभाव में प्रमाणित नहीं हो सके हैं।”

एसएसपी के जवाब में बताया गया है: ”यशेन्‍दु, बालेन्‍दु, पूर्णेन्‍दु पुत्रगण बालकराम के खिलाफ सांप्रदायिक सद्भाव एवं अमन-चैन भंग करने का प्रयास और फेसबुक पर आपत्तिजनक टिप्‍पणी करने के मामले में आइटी एक्‍ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। अभियुक्‍तगण का जर्मनी में रहना ज्ञात होने के कारण गिरफ्तारी नहीं हो सकी है। गिरफ्तारी के प्रयास जारी हैं।”

गिरफ्तारी के प्रयास कितने गंभीर हैं , इसका अंदाजा इसी बात से लगता है कि यशेन्‍दु और बालेन्‍दु भले जर्मनी में भूमिगत हों, लेकिन पूर्णेन्‍दु खुलेआम वृंदावन से लेकर बनारस तक घूम रहा है और पुलिस उसे गिरफ्तार नहीं कर रही। नास्तिक सम्‍मेलन में बनारस से आए एक व्‍यक्ति का कहना है कि ऐसा लगता है कि पूर्णेन्‍दु ने पुलिस कोई ‘डील’ कर ली है जिसकी वजह से वह अब तक बचा हुआ है।

दरअसल, इन तीनों बंधुओं के पिता बालकराम की ओर से पुलिस में एक शपथपत्र दाखिल किया गया है जिसमें मारपीट और माहौल बिगाड़ने का आरोपी फोटोपत्रकार सर्वेश को ठहरा दिया गया है। उसमें लिखा है कि ”हम वचन देते हैं कि भविष्‍य में इस तरह के माहौल दूषित करने वालों से दूरी बनाकर रखेंगे जिससे हमारा व सभी संतों का गौरव बना रहे।”

अगर इस शपथपत्र को बालेन्‍दु बंधुओं और पुलिस के बीच की ‘डील’ मानें, तब बालेन्‍दु के फ़रार होने का कोई मतलब नहीं बनता।