ट्रंप को परेशानी में डाल सकती है कोहेन की गवाही


ख़ुद को हमेशा जीतनेवाला और बेहतरीन सौदे करनेवाला कहनेवाले ट्रंप अपने ही पुराने सहयोगी कोहेन के आरोपों से कैसे बचेंगे, यह देखना बहुत दिलचस्प होगा




प्रकाश के रे

वियतमान पर अमेरिकी हमले के दौरान डोनाल्ड ट्रंप हड्डी की बीमारी का बहाना बनाकर सेना की अनिवार्य सेवा से बच गए थे. जब राष्ट्रपति चुनाव में यह मुद्दा उठा, तो ट्रंप ने अपने वक़ील माइकल कोहेन को नकारात्मक प्रचार को रोकने का ज़िम्मा देते हुए कहा कि ‘तुम्हें क्या लगता है कि मैं मूर्ख हूँ, मुझे वियतनाम नहीं जाना था.’ अमेरिकी कांग्रेस की निगरानी समिति के सामने अपना बयान देते हुए कोहेन ने यह भी कहा कि यह विडंबना ही है कि अभी ट्रंप वियतनाम में हैं. 

उत्तर कोरिया के राष्ट्रपति किन जोंग उन से दूसरे शिखर बैठक के लिए राष्ट्रपति ट्रंप हनोई में हैं और वहाँ से डेमोक्रेट पार्टी के सीनेटर रिचर्ड ब्लुमेंथल के ख़िलाफ़ एक ट्वीट में लिखा है कि ‘वियतनाम युद्ध में उनकी वीरता की कहानियाँ पूरी तरह से फ़र्ज़ीवाड़ा हैं. वे कभी यहाँ नहीं आए थे.’ हालाँकि ब्लुमेंथल कई साल पहले यह स्वीकार कर चुके हैं कि उन्होंने कई दफ़ा वियतनाम में अपनी सैन्य सेवा के बारे में ग़लतबयानी की है, लेकिन इस संदर्भ में यह भी याद रखा जाना चाहिए कि 1964 से 1972 के बीच ख़ुद ट्रंप पाँच बार बहानेबाज़ी कर वियतनाम जाने से बच गए थे. चार बार उन्होंने पढ़ाई का बहाना बनाया था और एक बार हड्डियों की बीमारी का, जिसका उल्लेख कोहेन अपनी गवाही में कर रहे थे. 

वियतनाम युद्ध में जाने से बचने का मसला क़ानूनी रूप से ट्रंप के लिए परेशानी का कारण नहीं बन सकता है, लेकिन कोहेन के बयान में ऐसी बहुत-सी बातें हैं, जो उनके राजनीतिक करियर को संकटग्रस्त कर सकती हैं. ट्रंप के लिए कोहेन सिर्फ़ वक़ील का काम नहीं करते थे, बल्कि उनकी ओर से बिचौलिए की भूमिका भी निभाते थे. एक दहाई से ज़्यादा समय तक ट्रंप और उनके परिवार के क़रीबी रह चुके कोहेन ने राष्ट्रपति को नस्लभेदी, धूर्त और झूठा कहा है. उन्होंने यहाँ तक कह दिया है कि अगर ट्रंप 2020 में राष्ट्रपति का चुनाव हार गए, तो वे आसानी से व्हाइट हाउस नहीं छोड़ेंगे. 

रूस में रियल इस्टेट प्रोजेक्ट पर चुनाव के दौरान बातचीत जारी रखना, ट्रंप टावर में उनके बेटे व सहयोगियों का रूसी एजेंटों से मिलना, हैकिंग से डेमोक्रेट पार्टी के इ-मेल सार्वजनिक कराना, अफ़ेयर को लेकर पॉर्न स्टार को चुप रहने के लिए ग़लत तरीक़े से पैसे देना, प्लेबॉय पत्रिका की पूर्व मॉडल करेन मैकडूगल से अफ़ेयर को छुपाने की कोशिश, ट्रंप की पत्नी से झूठ बोलना आदि के बारे में कोहेन ने विस्तार से बताया है तथा अपनी ओर से कुछ सबूत देने की कोशिश भी की है. कोहेन के बयान के सच और झूठ का पता तो बाद में चलेगा, लेकिन ट्रंप ने भी हनोई से ट्वीट कर उन्हें फिर निशाना बनाया है. विकिलीक्स ने भी अपनी ओर से सफ़ाई दी है कि जूलियन असांज और ट्रंप के सहयोगी रोजर स्टोन के बीच इ-मेल की हैकिंग पर कोई बातचीत नहीं हुई थी, बल्कि इस ख़ुलासे के बारे में ख़ुद विकिलीक्स ने ट्वीटर पर पहले ही संकेत दे दिया था. निगरानी समिति में शामिल रिपब्लिकन पार्टी के सदस्यों ने भी इस सुनवाई और कोहेन के बयान पर सवाल उठाए हैं. 

कोहेन को एक अदालत से फ़र्ज़ीवाड़े के मामले में तीन साल की सज़ा हो चुकी है. उन पर कई और मामले चल रहे हैं और माना जा रहा है कि उन्हें 70 साल के क़ैद की सज़ा हो सकती है. ट्रंप समेत कई लोगों का आरोप है कि कोहेन अपनी सज़ा को कम कराने के लिए राष्ट्रपति को निशाना बना रहे हैं. कोहेन के अलावा ट्रंप के अनेक सहयोगियों पर मुक़दमें चल रहे हैं जिनमें कोहेन के अलावा रोजर स्टोन और पॉल मानाफ़ोर्ट प्रमुख हैं. ख़ुद ट्रंप पर रूस के साथ मिलकर राष्ट्रपति चुनाव पर असर डालने की कोशिश को लेकर मूलर जाँच समिति बैठी हुई है और उसकी रिपोर्ट आगामी दिनों में आ सकती है. कोहेन के बयान के बाद निगरानी समिति आगे भी अपनी सुनवाई जारी रखेगी. डेमोक्रेट सदस्यों के तेवर इंगित कर रहे हैं कि वे पूरे मामले को राष्ट्रपति पर महाभियोग लगाने तक ले जाना चाहते हैं. ज़ाहिर है, यह घटनाक्रम 2020 में ट्रंप की उम्मीदवारी पर सवालिया निशाना लगा सकता है. एक संभावना यह भी है कि उन्हें राष्ट्रपति निक्सन की तरह इस्तीफ़ा देना पड़ा जाए. 

https://www.bbc.com/news/av/world-us-canada-47393212/michael-cohen-five-things-he-said-about-donald-trump

यह याद रखा जाना चाहिए कि राष्ट्रपति निक्सन के मामले में भी उनका वक़ील ही इस्तीफ़े की वजह बना था. जॉन डीन व्हाइट हाउस में निक्सन के वक़ील थे. वाटरगेट कांड को छुपाने की कोशिश में उनका बड़ा हाथ था. यह मामला डेमोक्रेटिक पार्टी के मुख्यालय में सेंधमारी और गुपचुप तरीक़े से बातचीत टेप करने का था. सत्तर के दशक के उन शुरुआती सालों में रिचर्ड निक्सन राष्ट्रपति थे और वे दुबारा भी चुनाव मैदान में थे. इसी दौरान उनके इशारे पर इस कांड को अंजाम दिया गया था. पुलिस जाँच और पत्रकारों के ख़ुलासों के बाद पता चला कि व्हाइट हाउस ने यह सब कराया है और सेंधमारों को निक्सन चुनाव अभियान से पैसा दिया गया है. जॉन डीन ने इस कांड को छुपाने, जाँच को बहकाने और सबूतों को मिटाने का काम बख़ूबी किया, लेकिन आख़िरकार वह जाँच एजेंसियों के हाथ लग ही गया. तब उसने अपनी ग़लती मानी और सज़ा कम कराने के लिए जाँच में सहयोग करने लगा. उसने कांग्रेस के सामने भी गवाही दी. उसे अपना 245 पन्ने का बयान पढ़ने में पूरा दिन लगा गया था और उसने बताया था कि निक्सन के सामने वाटरगेट पर चर्चा के 35 मौक़ों पर वह मौजूद था. डीन के बयान से ही व्हाइट हाउस में एक ख़ुफ़िया टेपिंग सिस्टम के होने का पता चला था. यही निक्सन के इस्तीफ़े का बड़ा कारण बना था. 

डीन और कोहेन की तरह व्हाइट हाउस का एक और अधिकारी कांग्रेस की समिति के सामने पेश होकर राष्ट्रपति कार्यालय की करामातों के बारे में बता चुका है. राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन के दूसरे कार्यकाल में अवैध तरीक़े से ईरान को हथियार बेचे गए थे. उस समय ईरान और इराक़ के बीच जंग जारी थी. अमेरिका दोनों पक्षों को हथियार बेचा रहा था. रीगन से पहले राष्ट्रपति जिमी कार्टर ईरान को हथियार देने पर पाबंदी लगा चुके थे क्योंकि ख़ुमैनी की क्रांति और तेहरान में अमेरिकी दूतावास पर हमले के कारण दोनों देशों के संबंध बहुत बिगड़ गए थे. इसके बावजूद रीगन ने सऊदी हथियार दलाल अदनान ख़शोगी के माध्यम से ईरान को हथियार बेचा था. ओलिवर नॉर्थ उस दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा काउंसिल में कार्यरत थे. इनका काम था ईरान से हथियार के बदले हुई कमाई को निकारागुआ में कम्यूनिस्ट सरकार के ख़िलाफ़ छापामार लड़ाई रहे कोंट्रा छापामारों की मदद में लगाना. ऐसी किसी भी मदद पर कांग्रेस ने पहले ही पाबंदी लगायी हुई थी. 

यह मसला बाहर आने पर रीगन ने सारा दोष नॉर्थ पर मढ़ते हुए उन्हें 1987 में बरख़ास्त कर दिया. इसके बाद नॉर्थ ने कांग्रेस समिति के सामने पूरे मसले का ख़ुलासा किया था. कोंट्रा लड़ाकों को पैसा देने के मामले में एक मज़ेदार वाक़या हुआ था. लेन-देन को छुपाने के लिए नॉर्थ ने ब्रूनेई के सुल्तान से कोंट्रा लड़ाकों से जुड़े स्विस ख़ाते में पैसे डलवाए थे, लेकिन ख़ाता संख्या ग़लत होने से वह पैसा किसी स्विस कारोबारी के पास चला गया. इस पर अमेरिकी सीनेट ने जाँच कर सुल्तान के पैसे वापस दिलाने की बात कही थी. नॉर्थ ने कांग्रेस को यह भी बताया था कि पनामा के सैनिक तानाशाह मैनुएल नोरिएगा ने अपनी छवि सुधारने के बदले कोंट्रा लड़ाकों को मदद करने का प्रस्ताव रखा था. इसके लिए ईरान से हुई कमाई में से भी नोरिएगा को कुछ देने की बात हुई थी. साल 1989 में नॉर्थ को सज़ा हुई, पर अगले ही साल वह बरी हो गये. बाद में उन्होंने रिपब्लिकन पार्टी से सीनेट का चुनाव भी लड़ा. आजकल वे नेशनल राइफ़ल एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं, जो अमेरिका की सबसे ताक़तवर गन लॉबी है. 

ख़ैर, अपनी उम्मीदवारी से लेकर जीत तक तथा राष्ट्रपति के अब तक के कार्यकाल में वे लगातार झंझटों में उलझे हुए हैं. अमेरिका के भीतर और बाहर उनकी नीतियों और तेवर का बड़ा असर पड़ा है. उन्होंने यह भी एलान कर दिया है कि वे दुबारा चुनाव लड़ेंगे. ख़ुद को हमेशा जीतनेवाला और बेहतरीन सौदे करनेवाला कहनेवाले ट्रंप अपने ही पुराने सहयोगी कोहेन के आरोपों से कैसे बचेंगे, यह देखना बहुत दिलचस्प होगा.        

लेखक वरिष्‍ठ पत्रकार हैं