हरिशंकर तिवारी सड़क पर, गोरखपुर में लगे योगी मुर्दाबाद के नारे !



करीब 35 दिन पहले जब योगी आदित्यनाथ ने यूपी के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी तो पूरा गोरखपुर ख़ुशी से झूम उठा था। योगी विरोधियों में भी यह भाव था कि वीरबहादुर सिंह के बाद पहली बार यूपी की कमान गोरखपुर के हाथ आई है जिसका लाभ ज़रूर मिलेगा। योगी आदित्यनाथ जब 25 मार्च को गोरखपुर पहुँचे थे तो पूुरा शहर उमड़ पड़ा था। लेकिन सिर्फ एक महीने बाद आज फिर शहर में लोग उमड़े तो ज़बान पर ‘योगी मुर्दाबाद’ के नारे थे। दरअसल, 22 अप्रैल को पूर्व मंत्री और एक ज़माने में पूर्वांचल में ख़ास धमक रखने वाले हरिशंकर तिवारी के आवास (हाता) पर पुलिस ने छापा मारा था। इस घटना के विरोध में आज प्रदर्शन का ऐलान किया गया था और शायद जीवन में पहली बार हरिशंकर तिवारी खुद जुलूस में पैदल चलते नज़र आए। इस घटना ने मंदिर (गोरखनाथ मंदिर, जहाँ के महंत हैं योगी आदित्यनाथ) और ‘हाता’ की पुरानी प्रतिद्वंद्विता को नया रंग दे दिया है। ‘योगीमय’ मीडिया से उम्मीद करना बेकार है कि वह ज़मीन पर हो रहे इस बदलाव की हक़ीक़त बयान करेगा, लेकिन ‘गोरखपुर न्यूज़ लाइन’ जैसे कुछ वैकल्पिक मीडिया प्रयास हम तक सच्चाई पहुँचा रहे हैं। पेश है वहीं छपी एक रिपोर्ट–

पुलिस की कार्रवाई ने योगी सरकार के खिलाफ ब्राह्मणों में भारी नाराजगी

गोरखपुर, 24 अप्रैल। पूर्व मंत्री एंव पूर्वांचल के ब्राह्मणों के बड़े नेता हरिशंकर तिवारी के आवास पर शनिवार को पुलिस द्वारा डाले गए छापे के विरोध में आज जिलाधिकारी कार्यालय पर जोरदार धरना-प्रदर्शन हुआ। प्रदर्शन में योगी सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई और पुलिस के छापे को गुंडागर्दी, जन प्रतिनिधियों का अपमान बताया गया।

आज के धरना-प्रदर्शन में जिस तरह से बड़ी संख्या में ब्राह्मण आए और अपने आक्रोश का इजहार किया उससे लगा कि पुलिस की कार्रवाई ने पूर्वांचल के ब्राह्मणों में योगी सरकार के खिलाफ भारी नाराजगी पैदा कर दी है। जिन ब्राह्मणों ने अभी डेढ़ महीने पहले यूपी में भाजपा सरकार बनवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी, उनकी नाराजगी पूर्वांचल में एक नए राजनीतिक समीकरण को जन्म दे सकती है।

धरना-प्रदर्शन में पूरा तिवारी परिवार-पूर्व मंत्री हरिशंकर तिवारी, विधान परिषद के पूर्व सभापति गणेश शंकर पांडेय, पूर्व सांसद भीष्म शंकर तिवारी उर्फ कुशल तिवारी तथा चिल्लूपार के बसपा विधायक विनयशंकर तिवारी शामिल हुए। तिवारी परिवार को बसपा का पूरा साथ मिला और धरना-प्रदर्शन में शामिल होने के लिए प्रदेश अध्यक्ष राम अचल राजभर, विधानसभा मंडल में बसपा के नेता लालजी वर्मा, जोनल कोआर्डिनेटर घनश्याम खरवार भी आए। बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी कल बसपा विधायक विनय शंकर तिवारी से बातचीत की थी।


गोरखपुर के राजनीतिक इतिहास में यह पहला अवसर था जब तिवारी परिवार किसी आंदोलन में एक साथ सड़कों पर था। काफी उम्र और अस्वस्थ होने के बावजूद पूर्व मंत्री हरिशंकर तिवारी पैदल चल प्रदर्शन करते हुए डीएम कार्यालय पहुंचे और जब तक धरना चला वहां उपस्थित रहे। उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में पुलिस की कार्रवाई को ’ अमानवीय ’ बताया। जब उनसे पूछा गया कि किसके इशारे पर कार्रवाई हुई तो उन्होंने कहा कि मीडिया जानता है कि किसके इशारे पर हुई कार्रवाई।

शनिवार को चार बजे एसपी सिटी की अगुवाई में भारी पुलिस बल ने लूटकांड के एक अभियुक्त सोनू पाठक की तलाश में पूर्व मंत्री हरिशंकर तिवारी के धर्मशाला स्थित आवास ‘ हाता ’ छापा मारा था। पुलिस ने वहां से सात लोगों को हिरासत मे लिया जिनमें से अशोक सिंह नाम के व्यक्ति को छोड़ सभी को कुछ देर बाद छोड़ दिया गया। अशोक सिंह का बाद में आर्म्स एक्ट में चालान कर दिया गया। बाद में पता चला कि पुलिस ने जिस शख्स की तालाश में छापा मारा वह कुछ महीने पहले से बलिया जेल में बंद है। इस घटना से पुलिस की काफी किरकिरी हुई। पुलिस की इस कार्रवाई से संदेश यह गया कि राजनीतिक प्रतिशोध में ‘ हाता ’ पर छापा मारा गया।

‘हाता’ को पूर्वांचल की राजनीति में मंदिर ( मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ) का प्रतिद्वंदी माना जाता है।

पूर्व मंत्री के बेटे बसपा विधायक विनय शंकर तिवारी ने पुलिस की इस कार्रवाई को राजनीतिक प्रतिशोध की कार्रवाई बताया और 24 अप्रैल को डीएम कार्यालय पर प्रदर्शन का ऐलान किया था। जिला प्रशासन ने आज कलेक्ट्रेट परिसर को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया था। डीएम कार्यालय पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया था और मुख्य द्वार को छोड़ शेष सभी गेट बंद कर दिए गए थे। शहर के प्रमुख स्थानों पर भी पुलिस बल तैनात किया गया था।


धरना-प्रदर्शन में शामिल होने के लिए बड़ी संख्या में लोग डीएम कार्यालय पहुंचे। प्रदर्शनकारियों में ब्राह्मणों की संख्या अधिक थी और वे पुलिस की कार्रवाई पर आक्रोश प्रकट कर रहे थे। जुलूस, धरना-प्रदर्शन में योगी सरकार के खिलाफ जम कर नारे लगे। लोग ‘ ब्राह्मणों के सम्मान में हरिशंकर तिवारी मैदान में ’, ‘ बम बम बम, हरिशंकर ’, पुलिस प्रशासन मुर्दाबाद, ‘ योगी सरकार की गुंडागर्दी नहीं चलेगी नहीं चलेगी ’ , आदि नारे लगा रहे थे।

धरना-प्रदर्शन में बसपा नेताओं के अलावा सपा मो आसिम, शिवाजी तिवारी, कांग्रेस के मारकंडेय प्रसाद सिंह आदि नेता भी देखे गए। इसके अलावा कई वरिष्ठ अधिवक्ता, पूर्व छात्र नेता भी दिखे। कुछ नेताओं ने धरने को सम्बोधित भी किया।
धरना-प्रदर्शन में शामिल होने आ रहे लोगों को पुलिस द्वारा कुछ स्थानों पर रोके जाने के भी आरोप लगाए गए।

तिवारी परिवार ने पुलिस छापे को अवैधानिक और अपमानजनक बताया

पूर्व मंत्री हरि शंकर तिवारी ने इस मौके पर कहा कि उनके आवास पर अपराधी को खोजने के नाम पर छापा मारने की कार्रवाई अवैधानिक और अपमानजनक है। उन्होंने जिला पुलिस को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि जिस सोनू पाठक को पुलिस खोज रही है वह एक पखवारा से बलिया जेल में बंद है। या तो पुलिस के पास अपनी कोई इण्टेलीजेंस नहीं है या फिर पुलिस सरकार को धोखा दे रही है।

गणेश शंकर पांडेय ने कहा कि जो शख्स बलिया जेल में बंद है उसे गोरखपुर पुलिस ‘ हाता ‘ में खोज रही है। इससे बढ़ कर अकर्मण्यता और क्या हो सकती है। पूर्व सांसद कुशल तिवारी ने कहा कि उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार सत्ता के नशे में चूर है। उसे यह नहीं रास आ रहा है कि गोरखपुर में मोदी लहर के बीच एक सीट पर बसपा का कैसे कब्जा हो गया।

बसपा विधायक विनय शंकर तिवारी ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार के इशारे पर ही पुलिस ने बिना सर्च वारण्ट के हाते में घुस कर मनमानी की। यह कार्रवाई राजनैतिक विद्वेष की भावना को दर्शाती है। धरने को सम्बोधित करते हुए बसपा के प्रदेश अध्यक्ष राम अचल राजभर, मुख्य जोनल कोआर्डिनेटर धनश्याम खरवार, नेता विधान मण्डल दल लालजी वर्मा, बसपा जिला अध्यक्ष सुरेश कुमार भारती, बसपा नेता जनार्दन चैधरी, राजेश पांडे, महेंद्र नाथ मिश्रा, सच्चिदानंद, बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष मधुसूदन त्रिपाठी और प्रेम नाथ शुक्ला ने कहा कि पूर्व मंत्री हरिशंकर तिवारी के आवास पर पुलिस की छापेमारी योगी सरकार के इशारों पर की गई है। राजनैतिक प्रतिद्वंद्विता में हाते में छापेमारी की कार्यवाही मुख्य मंत्री के इशारे पर हुई है। जिला पुलिस का हाता के आधे दर्जन कर्मचारियों को गिरफ्त में लेने के कुछ ही देर बाद छोड़ देना और बिना सर्च वारण्ट के विधायक आवास में घुस कर तलाशी लेना साबित करता है कि पुलिस को प्रोटोकाल से कोई मतलब नहीं है। पुलिस गुण्डई पर उतारू है।

धरना-प्रदर्शन की समाप्ति पर राज्यपाल को सम्बोधित ज्ञापन जिला प्रशासन को दिया गया जिसमें छापा डालने गए एसपी सिटी को बर्खास्त करने और पूरे मामले की जांच कराने की मांग की गई है।