सोशल मीडिया पर मचे क्रंदन के बीच बिहार का एक ‘बेहया’ बाज़ार!



आशुतोष कुमार पांडे / बिहिया बाज़ार से

पटरी बदलते हुये गाड़ी जैसे ही बिहिया रेलवे स्टेशन के पूरब वाली गुमटी पार करती है, ठीक दाहिने तरफ उस महिला का घर है जिसे करीब तीन-चार सौ लोगों ने नंगा कर के घुमाया था। रेल पटरी पार करने वाले हर उम्र के महिला और पुरुष उस ओर ताकते हुए पटरी पार कर रहे हैं। भीड़ ने घर को बुरी तरह जला दिया है। इस पार कुछ महिलाएं और पुरूष उसके घर को देखते हुए बोल बतिया रहे हैं।

बिहिया बाज़ार के जिस इलाके में उस महिला को घुमाया गया उधर छिटपुट दुकानें खुली हैं। बाकी बाजार सामान्‍य दिनों की तरह ही दिखता है।

बिहिया में कहीं भी आप शांति से बैठ जाइये। दो आवाज़ें खूब सुनाई देंगी। पहली कटर से लोहे काटने या मकानों से आती खटर-पटर की आवाज़, दूसरी ट्रैक्टर-पिकअप-मोटर की आवाज़।

निर्वस्‍त्र कर घुमायी गई महिला का घर लोगों ने जला दिया है

गलीनुमा रास्ते वाली बिहिया की सब्जी मंडी विभिन्न किस्म के सब्जियों से सजी हुई हैं। अभी ठीक से दोपहर भी नहीं हुई है। नाक पर चश्मा गिराये खिचड़ी दाढ़ी वाला थोक आलू का विक्रेता एक अपने से कम उम्र के नींबू के थोक विक्रेता को गरिया रहा है। कह रहा है कि तुम सब काहे नहीं कल उसको छोड़ाया। भीड़ जुटने लगती है। वह अधेड़ उम्र का व्यक्ति गरियाना बंद कर देता है। मैं एक थोक प्याज़ विक्रेता के बगल में खड़ा हो जाता हूं। वह अपने किसी सहयोगी से कह रहा है कि मैंने यह पूरा नाटक देखा था। पुलिस वाला आया और सबका गा… हवा हो गया। पकड़ ले गया। मुझे खड़ा देख वे दोनों आपस में बतियाना बंद कर देते हैं।

बगल के मोहल्ले में चाय वाले से चाय मांगने पर पूछता है- गिलास में पीजियेगा कि प्याली में। मैंने शरारत से कहा कि लोटा में दे दीजिए। चाय वाला आँखे तरेर कर कहता है कि चाय नहीं है। अगल-बगल चाय पीने बैठे लोग मेरे तरफ देखने लगते हैं। मैं बेंच पर बैठा मोबाइल खोलकर चलाते हुए चाय वाले से पानी मांगता हूँ। एक बुजुर्ग वहां पसरी चुप्‍पी को यह कहते हुए तोड़ देता है कि बिहिया तो बदनाम हो गया। चाय वाला पानी के बदले कुल्‍हड़ में चाय देते हुए बुजुर्ग से मुखातिब होते हुए कहता है- बिहिया को बदनाम करने कोई आरा से थोड़े आया था। बिहिया वालों ने ही बिहिया को बदनाम कर दिया। गेरुआ रंग की गंजी और हाफ पैंट पहने एक नौजवान प्रतिवाद करते हुए कहता है कि बिहिया को नाच वालों ने बदनाम किया है।

रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म तीन के बाहर साउथ इंडियन डिश का एक ठेला लगा हुआ है। वैसे यहां पर बीसियों ठेले लगे हुए हैं। तीन लड़के आपस में बतिया रहे हैं। नाम न बताने की शर्त पर एक कहता है कि उस महिला पर पहले से कोई मर्डर का केस है। उस लड़के ने पूरे अफ़सोस से कहा कि उस महिला को दो लाख रुपये का मुआवजा मिला है। एक लड़के ने कहा कि उसकी पहुंच मुख्यमंत्री तक है।

पंद्रह लोगों की गिरफ्तारी और करीब 300 अज्ञात लोगों पर एफआइआर के बाद मेरा इरादा सिर्फ यह देखना और जानना था कि बिहिया के लोग इस विषय में क्या सोचते हैं! किसी तरह का अफ़सोस या शर्मिंदगी का स्वर उनके जबान पर है या नहीं। जो सोशल मीडिया पर गुस्सा दिखाई दे रहा है, उसमें बिहिया कहां खड़ा है!

सवेरे से बिहिया का लगभग अलग-अलग बाजार मैं घूम चुका हूं। हर उम्र के दर्जनों लोगों से बतिया लिया है। उस महिला को नंगा घुमाए जाने पर किसी चेहरे पर अफ़सोस नहीं दिखाई देता है। जिन जगहों और मोहल्लों में सन्‍नाटा पसरा है और जो लोग मिल रहे थे, वे इसे बस एक घटना की तरह देख रहे थे। इससे न तो कुछ खर्च होने वाला है और न ही आमदनी में कोई बढ़त होनी है।

एक स्‍त्री को नग्‍न कर से बाज़ार घुमाए जाने की घटना बिहिया बाज़ार में केवल होठों का नमक है। बहुत दिन बाद चटखारे लेकर बात करने को कुछ मिला है। इस बाज़ार का नाम बदल के बेहया कर देना चाहिए।


लेखक आरा में रहने वाले स्‍वतंत्र लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता हैं