BHU: पीएम की नाक के नीचे ‘त्रिपाठी’ बंधुओं ने लटका दिया अगले कुलपति के विज्ञापन का प्रकाशन!



बनारस हिंदू विश्‍वविद्यालय का परिसर वैसे तो कुलपति गिरीश चंद्र त्रिपाठी के आने के बाद से लगातार अलग-अलग विवादों में घिरा रहा है, लेकिन इस बार ताज़ा घपला सीधे कुलपति के माथे आन पड़ा है। पता चला है कि कुलपति त्रिपाठी केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के निर्देश को ताक पर रख कर अगले कुलपति की नियुक्ति की प्रक्रिया को जानबूझ कर लटकाए हुए हैं ताकि उन्‍हें राज करने का और वक्‍त मिल सके। त्रिपाठी का कार्यकाल 27 नवंबर को खत्‍म हो रहा है, लेकिन उन्‍होंने केंद्र के निर्देश के बावजूद पिछले डेढ़ महीने से अगले कुलपति के लिए विज्ञापन जारी नहीं किया है।

मामला कुछ यूं है कि बीते 1 अगस्‍त 2017 को मानव संसाधन विकास मंत्रालय के उच्‍च शिक्षा विभाग के उपसचिव सूरत सिंह की ओर से बीएचयू के रजिस्‍ट्रार को एक चिट्ठी भेजी गई थी। पत्र संख्‍या 1-6/2017-CU.V(Part) का विषय था: Advertisement for the post of VC of Banaras Hindu University- reg. पत्र में रजिस्‍ट्रार को बताया गया था कि यह पत्र विश्‍वविद्यालय के नए कुलपति की नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी करने के संबंध में है और दो भाषाओं में विज्ञापन को निम्‍न अखबारों में प्रकाशन के लिए संलग्‍न किया गया था:

उत्‍तरी क्षेत्र के लिए टाइम्‍स ऑफ इंडिया (दिल्‍ली संस्‍करण)

पश्चिमी क्षेत्र के लिए टाइम्‍स ऑफ इंडिया (मुंबई संस्‍करण)

पूर्वी क्षेत्र के लिए दि टेलिग्राफ (कोलकाता/गोहाटी संस्‍करण)

दक्षिणी क्षेत्र के लिए दि हिंदू (चेन्‍नई, बंगलुरु, हैदराबाद, त्रिवेंद्रम संस्‍करण)

पत्र में रजिस्‍ट्रार को निर्देश दिया गया था कि विज्ञापन की प्रति और आवेदन के प्रारूप को बीएचयू की वेबसाइट पर डाला जाए तथा मंत्रालय को विवरण भेजा जाए ताकि उसी तारीख में मंत्रालय भी अपनी वेबसाइट पर विज्ञापन जारी कर सके।

1 अगस्‍त से 12 सितंबर हो गया लेकिन आज तक विश्‍वविद्यालय ने यह विज्ञापन जारी नहीं किया। इसका पता 12 सितंबर, 2017 को प्रधानमंत्री कार्यालय में हरिकेश बहादुर द्वारा दर्ज कराई गई एक शिकायत से चला जिसमें शिकायतकर्ता ने सीधे विश्‍वविद्यालय के रजिस्‍ट्रार नीरज त्रिपाठी पर आरोप लगाया है कि वे जान-बूझ कर डेढ़ महीने से विज्ञापन प्रकाशन की प्रक्रिया को दबाए हुए हैं ताकि नए कुलपति की नियुक्ति प्रक्रिया में देरी हो और प्रो. त्रिपाठी का कार्यकाल मजबूरन लंबा करना पड़े।

गौरतलब है कि नीरज त्रिपाठी पहले कुलपति जी.सी. त्रिपाटी के निजी सहायक हुआ करते थे जिन्‍हें बाद में बीएचयू का रजिस्‍ट्रार बना दिया गया। उनके खिलाफ पीएमओ में दर्ज शिकायत कहती है कि त्रिपाठी ने जान बूझ कर विज्ञापन प्रकाशन की प्रक्रिया को लटकाया है वरना अब तक सर्च कम सेलेक्‍शन कमेटी बन चुकी होती। लिहाजा मंत्रालय खुद बीएचयू के खर्चे से विज्ञापन को छपवाए और नियुक्ति की प्रक्रिया से रजिस्‍ट्रार को दूर रखे तथा उसके खिलाफ अनुशासनात्‍मक कार्रवाई करे।

कुलपति त्रिपाठी के खिलाफ बीते दिनों के दौरान कई मामले सामने आए हैं जिनमें हालिया मामला सर सुंदरलाल चिकित्‍सालय में एक भाजपा विधायक की कंपनी द्वारा आपूर्ति की गई ज़हरीली गैस से हुई मौतों का है। इसके अलावा नियुक्तियों को लेकर भी त्रिपाठी पर उंगलियां उठी हैं।

ऐसा पहली बार हो रहा है कि अपने उत्‍तराधिकारी का रास्‍ता रोकने के लिए कुलपति ने केंद्र सरकार के निर्देश का ही मखौल उड़ा डाला है और डेढ़ महीने से विज्ञापन छापने की प्रक्रिया को लटकाए पड़े हैं। इस संबंध में पीएमओ को भेजी गई शिकायत पर जवाब आना अभी बाकी है।