योगी जी, डॉ.कफ़ील तो जेल में थे, गोरखपुर में कैसे मर गए 1342 बच्चे ?



 

पिछले साल अगस्त में गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मौत ने राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मीडिया का ध्यान खींचा था। उन्माद की राजनीति किस तरह समाज का ऑक्सीजन नष्ट कर देती है, यह उसका प्रमाण था। यह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का संसदीय क्षेत्र था, उनका नाम जुड़ा था, लिहाज़ा लीपापोती करते हुए एक षड़यंत्रकारी कहानी रची गई। जिस डॉ.कफ़ील ने बच्चों को बचाने के लिए बाहर से ऑक्सीजन सिलेंडर मँगवाने में ख़ुद को झोंक दिया था, उसी को विलेन बना दिया गया। कहा जाने लगा कि डॉ.कफ़ील अपने निजी अस्पताल में सरकारी सिलेंडर पहुँचा देते थे, इसलिए कमी पड़ी।

हक़ीक़त यह थी कि सिलेंडर एक आपात्कालीन व्यवस्था थी। अस्पताल में लिक्विड ऑक्सीजन पाइप से सप्लाई होती थी। जो कंपनी ऐसा करती थी, उसे बार-बार कहने पर पेमेंट नहीं किया जा रहा था, इसलिए उसने सप्लाई बंद कर दी थी। यह सीधे-सीधे प्रशासनिक विफलता थी। लेकिन डॉ.कफ़ील का चेहरा आगे करके मसलो को हिंदू-ुमुस्लिम रंग दिया गया। डॉ.कफ़ील क़रीब नौ महीने जेल में रहने और लाखों रुपये फूँकने के बाद जेल से छूटे। उनके ख़िलाफ़ कोई प्रमाण नहीं मिला।

बहरहाल, इस बार तो कफ़ील नहीं हैं। फिर भी विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक बीते सात महीनों में 1342 बच्चों की मौत हो गई है। प्रशासन आँकड़े छुपाने में जुटा है। पहले मरने वाले बच्चों की सूचना मीडिया को सहज उपलब्ध थी, लेकिन अब इस पर रोक लगा दी गई है।

इस अवधि में सबसे अधिक एनआईसीयू (नियोनेटल इंटेसिव केयर यूनिट) में 869 बच्चों की मौत हुई। ये बच्चे संक्रमण, सांस सम्बन्धी दिक्कतों, कम वजन आदि बीमारियों से पीड़ित थे. पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष बच्चों की मौत में कमी आई है लेकिन मृत्यु दर में इजाफा हो गया है।

बीआरडी मेडिकल कालेज के बाल रोग विभाग में नवजात शिशुओं को एनआईसीयू (नियोनेटल इंटेसिव केयर यूनिट) और बड़े बच्चों को पीआईसीयू (पीडियाट्रिक इंटेसिव केयर यूनिट) में भर्ती किया जाता है. पीआईसीयू में इंसेफेलाइटिस से ग्रस्त बच्चों को भी इलाज के लिए भर्ती किया जाता है।

Month NICU PICU Total
January 89 40 129
February 85 55 140
March 155 80 235
April 118 82 200
May 120 54 174
june 114 63 177
july 130 79 209
August 58 20 78
Total 869 473 1342

 

मेडिकल कालेज में इस वर्ष 9 अगस्त तक एनआईसीयू में 869 बच्चों की मौत हो गई जबकि पीआईसीयू में 473 बच्चों की मृत्यु हुई है. पीआईसीयू में इस अवधि में मृत बच्चों में 80 इंसेफेलाइटिस रोगी थे।

वर्ष 2017 में  एक जनवरी से 9 अगस्त तक  1486 बच्चों की मौत हुई थी. इसमें 911 एनआईसीयू में और 575 पीआईसीयू में भर्ती थे।

 

वर्ष 2017 (आंकड़े 9 अगस्त तक के हैं )

Month NICU PICU Total
January 143 67 210
February 117 63 180
March 141 86 227
April 114 72 186
May 127 63 190
june 125 83 208
july 98 95 193
August 46 46 92
Total 911 575 1486

 

बीआरडी प्रशासन अगस्त महीने में आक्सीजन कांड के बाद से बच्चों की मौत के बारे में अधिकृत जानकारी नहीं दे रहा है. इस कारण मीडिया को सूत्रों पर निर्भर रहना पड़ रहा है।

पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष बच्चों की भर्ती और मौत में कमी आई है लेकिन मृत्यु दर 2 से 4 फीसदी अधिक हो गई है.  पिछले वर्ष 9 अगस्त तक एनआईसीयू में  2409 और पीआईसीयू में 3729 बच्चे भर्ती हुए थे जबकि इस वर्ष 9 अगस्त तक  एनआईसीयू  में 2038 और  पीआईसीयू में 2781 बच्चे भर्ती हुए।

वर्ष 2017 में एनआईसीयू में मृ दर 37.8 थी जबकि इस वर्ष यह बढ़ कर 42.6 हो गई है. पीआईसीयू में मृत्यु दर  15.41 से बढ़ कर 17 फीसदी तक पहुँच गई है. ओवरआल यह दर 24.24 से बढ़कर 27.8 फीसद हो गई है।

यहां उल्लेखनीय है कि बीआरडी मेडिकल कालेज में पूर्वी उत्तर प्रदेश के 10 जिलों-गोरखपुर, महराजगंज, देवरिया, कुशीनगर, बस्ती, सिद्धार्थनगर, संतकबीरनगर, आजमगढ़, बलिया, देवीपाटन आदि जिलों के अलावा पश्चिमी बिहार से गोपालगंज, सीवान, पश्चिमी चम्पारण, पूर्वी चम्पारण आदि जिलों के बच्चे भी इलाज के लिए आते हैं।

 

 

गोरखपुर न्यूज़ लाइन के सहयोग से।