एटा के एसएसपी ने पुलिसवालों को पढ़ाया विकलांगों के प्रति संवेदनशील बनने का पाठ!

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अगर पुलिस का कोई बड़ा अफसर संवेदनशील हों तो असर पूरे विभाग पर नज़र आता है। पिछले दिनों एटा में विकलांगों के एक प्रदर्शन पर पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। हाल ही में एटा में आयोजित नुमाइश में पुलिस ने कुछ विकलांगों को नहीं घुसने दिया क्योंकि उनके पास चार पहिए वाला स्कूटर था। (बाद में एसएसपी के पास इसकी शिकायत गई तो उन्हें अंदर जाने दिया गया) और कुछ दिन पहले ही मिरहची थाने की पुलिस से प्रताड़ित एक विकलांग जब पैदल चलकर एटा एसएसपी से मिलने आया तो उनके आवास पर तैनात पुलिसकर्मियों ने उसे एसएसपी से नहीं मिलवाया। एटा जेल में बंद विकलांगों को सामान्य कैदियों की तरह रखा जाता है जिससे उन्हें रोजमर्रा की गतिविधियों में परेशानी का सामना करना पड़ता है।

यह कुछ घटनाएं एटा की हैं, इस तरह की घटनाएं आए दिन देश भर में होती हैं जहां विकलांगों के साथ पुलिस का बर्ताव संवेदनशील नहीं रहता। जबकि पुलिसकर्मी ही व्यवस्था के वो हिस्से हैं, जिनसे विकलांगों को घर से निकलते ही कदम कदम पर रूबरू होना पड़ता है। इन्हीं घटनाओं का अध्ययन कर एटा के विकलांग अधिकार कार्यकर्ता युवा एडवोकेट अमित यादव ने जिला एसएसपी अखिलेश कुमार चौरसिया के सहयोग से पुलिस को विकलांगों के प्रति संवेदनशील बनाने के लिए एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन एटा पुलिस लाइन में किया। इसमें जिले के सभी पुलिस अधिकारियों, थानों के थानाध्यक्ष और पुलिसकर्मियों को विभिन्न गतिविधियों, वीडियो और परिचर्चा के जरिए विकलांगों के प्रति व्यवहार की महत्ता बताते हुए संवेदनशील बनाया गया।

कार्यशाला का संचालन मुम्बई में विकलांगों के लिए काम करने वाले एटा के ही विनय कुमार ने किया। उन्होंने पुलिसकर्मियों को विभिन्न गतिविधियों में सक्रिय सहभाग कराते हुए समझाया कि उनके व्यवहार का एक विकलांग के जीवन पर क्या असर होता है। उन्हें मित्रवत व्यवहार के लिए प्रोत्साहत करते हुए ‘सत्यमेव जयते’ के विकलांगों पर बने कार्यक्रम को दिखाकर उसपर परिचर्चा आयोजित की गई। विनय कुमार को उनके विकलांग  बच्चियों के माहवारी प्रबंधन और अवैध यौन-विच्छेदन के खिलाफ (forced sterilization) किए उनके कार्यों के लिए एसएसपी ने सम्मानित किया। यह कार्यशाला दुनिभर में विकलांगों के लिए काम करने वाले जावेद आबिदी की स्मृति में करवाई गई जिनका हाल ही में निधन हुआ है। कार्यक्रम में जावेद आबिदी को उनके अभूतपूर्व योगदान के लिए जिले के शीर्ष अधिकारियों, पुलिसकर्मियों और विकलांगों ने भावभीनी श्रद्धांजलि दी।

कार्यशाला के उद्देश्यों पर चर्चा करते हुए अमित यादव ने चार प्रमुख बिंदुओं पर प्रकाश डाला। सार्वजनिक स्थलों पर विकलांगों के प्रति पुलिस संवेदनशील और मित्रवत व्यवहार करे, जिससे विकलांग बिना डरे जरूरत के वक्त पुलिस की मदद भी ले सकें। यातायात पुलिस विकलांग जनों के आवागमन में सहयोग करें ताकि वे भी सामान्य नागरिकों की तरह बाहर निकलें और सार्वजनिक जीवन मे सक्रिय रहें। इसके साथ ही पुलिस कार्यालयों एवं थानों में विकलांगों की सुगम पहुंच हो, जिससे वे कानूनी मामलों में पुलिस तक आसानी से पहुँच सकें। इसके बाद विकलांगजनों के लिए बने विशेष कानूनों एवं उनके अधिकारों पर पुलिस ध्यान दे और उनका पालन सुनिश्चित किया जाए।

अमित यादव ने अपने अनुभव साझा करते हुए पुलिसकर्मियों के कुछ सकारात्मक कदमों की भी चर्चा की और विकलांगों की उम्मीदें सबके सामने रखीं। उन्होंने विकलांगों के लिए कानूनी प्रावधानों की चर्चा करते हुए जेलों में विकलांगों की स्थिति पर चिंता व्यक्त की। साथ ही उन्होंने ग्रामीण विकलांग महिलाओं की रोजमर्रा की समस्याओं को उठाते हुए प्रशासन से उसपर भी ध्यान देने की मांग की।

कार्यक्रम के अंत में एसएसपी अखिलेश कुमार चौरसिया ने कार्यशाला के सभी सुझावों पर सहमति प्रदान करते हुए पुलिसकर्मियों को विकलांगों के प्रति मित्रवत व्यवहार करने के निर्देश दिए। उन्होंने सभी थानाध्यक्षों और अधिकारियों को पुलिस कार्यालयों में जल्द से जल्द रैम्प बनवाने का निर्देश देते हुए विकलांगों के लिए बने विशेष कानूनों पर भी अमल करने को कहा। एसएसपी ने कहा कि ये हमारी जिम्मेदारी है कि हम विकलांगों के प्रति बेहतर व्यवहार करें, हमें मौका मिला है कि समाज के एक तबके को हम अपने सहयोग से मुख्यधारा में ला सकते हैं। आयोजन की प्रशंसा करते हुए एसएसपी ने कहा कि ऐसी कार्यशालाएं ज्यादा से ज्यादा जिलों में आयोजित हों ताकि ज्यादा से ज्यादा पुलिस साथियों का इस ओर ध्यान जाए। इस कार्यक्रम में एक और नई पहल करते हुए आयोजकों ने अतिथियों को गुलदस्तों की जगह पौधे भेंट किए गए।

 

 

एटा से अमित यादव की रिपोर्ट

 



 

 


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