सुभाष बोस की बेटी को नेहरू हर महीने भिजवाते रहे आर्थिक मदद !

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नेताजी जयंती पर विशेष

नेताजी सुभाषचंद्र बोस, इलाज के लिए 1934 में आस्ट्रिया की राजधानी विएना में थे जहाँ वे खाली वक्त का इस्तेमाल अपनी किताब ‘द इंडियन स्ट्रगल’ लिखने में कर रहे थे। इसके लिए एक टाइपिस्ट की ज़रूरत थी और 23 साल की एमिली शेंकल का चुनाव इसी काम के लिए हुआ था। लेकिन जल्द ही दोनों प्यार और फिर शादी के रिश्ते में बँध गए। सुभाष की उम्र उस समय 37 साल थी। 26 दिसंबर, 1937 को, आस्ट्रिया के बादगास्तीन में दोनों की शादी हुई थी। स्वतंत्रता संग्राम की भीषण व्यस्तताओं के बीच इस दम्पति को साथ रहने का अवसर कम ही मिला।

29 नवंबर, 1942 को उनकी बेटी अनीता का जन्म हुआ जिसकी जानकारी सुभाष बोस ने अपने बड़े भाई शरतचंद्र बोस को ख़त लिखकर दी। अफ़सोस, इसके बाद सुभाष जिस मिशन पर निकले, उससे कभी लौट कर नहीं आए। एमिली बोस 1996 तक जीवित रहीं और उनकी बेटी अनीता ने एक मशहूर अर्थशास्त्री के रूप में पहचाान बनाई। ( ऊपर की तस्वीर में पिता की तस्वीर के साथ अनीता खड़ी हैं।)

ज़ाहिर है, एमिली ने सिंगल मदर के रूप में काफ़ी कठिनाइयों के बीच अकेली बेटी को पाला । लेकिन एक शख्श ऐसा था जो नेता जी के परिवार को लेकर हमेशा चिंतित रहा। वे थे जवाहर लाल नेहरू, जिन्हें सुभाष का विरोधी बताने का पूरा अभियान चलाया गया है। जबकि दोनों ही काँग्रेस के समाजवादी खेमे के नेता थे। कोई निजी मतभेद नहीं था। सुभाषचंद्र बोस की ‘सैन्यवाद प्रवृत्ति’ को गाँधी और उनके अनुयायी उचित नहीं मानते थे। नेहरू भी उनमें थे। लेकिन परस्पर सम्मान ऐसा कि जब सुभाष बोस ने आज़ाद हिंद फ़ौज बनाई तो एक ब्रिगेड का नाम नेहरू के नाम पर रखा। गाँधी जी को ‘राष्ट्रपिता’ का संबोधन भी नेता जी ने ही दिया था।

मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद रहस्यमय बोस फ़ाइल्स के सार्वजनिक होने का बड़ा हल्ला मचा। लेकिन जनवरी 2016 में कई फ़ाइलें सार्वजनिक की गईं तो जो सामने आये वह प्रचार से बिलकुल उलट था। पता चला कि नेहरू ने सुभाष बोस की, विदेश में पल रही बेटी के लिए हर महीने आर्थिक मदद भिजवाने की व्यवस्था की थी

इन गोपनीय फाइलों से खुलासा हुआ  कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) ने 1954 में नेताजी की बेटी की मदद के लिए एक ट्रस्ट बनाया था, जिससे उन्हें 500 रुपये प्रति माह आर्थिक मदद दी जाती थी। दस्तावेजों के मुताबिक, 23 मई, 1954 को अनिता बोस के लिए दो लाख रुपये का एक ट्रस्ट बनाया गया था। प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पश्चिम बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री बी. सी. रॉय उसके ट्रस्टी थे।

नेहरू द्वारा 23 मई, 1954 को हस्ताक्षरित एक दस्तावेज के अनुसार, “डॉ. बी. सी. राय और मैंने आज वियना में सुभाष चंद्र बोस की बच्ची के लिए एक ट्रस्ट डीड पर हस्ताक्षर किए हैं। दस्तावेजों को सुरक्षित रखने के लिए मैंने उनकी मूल प्रति एआईसीसी को दे दी है।”

एआईसीसी ने 1964 तक अनिता को 6,000 रुपये वार्षिक की मदद की। 1965 में उनकी शादी के बाद यह आर्थिक सहयोग बंद कर दिया गया। यह मत समझिए कि तब 500 रुपये महीने कोई छोटी रकम थी। बड़े-बड़े अफ़सरों को भी इतना वेतन नहीं मिलता था।

 

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