यूपी विधानसभा जांच समिति के समक्ष अपने किए स्टिंग का ही प्रमाण नहीं दे पाए दीपक शर्मा

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मुजफ्फरनगर दंगों के स्टिंग ऑपरेशन के संबंध में उत्तर प्रदेश विधानसभा द्वारा गठित जांच समिति के समक्ष टीवी टुडे चैनल समूह के संपादकीय व प्रबंधकीय अधिकारियों ने जो साक्ष्य प्रस्तुत किए हैंं, उससे टी वी चैनलों के न्यूज रूम के भीतर के कामकाज की संस्कृति जाहिर होती है। दिनांक 17 सितम्बर 2013 को “आज तक” एवं “हेड लाइन्स टुडे” चैनलों पर मुजफ्फरनगर दंगों के विषय में प्रसारित किये गये स्टिंग ऑपरेशन में सदन के एक वरिष्ठ सदस्य/मंत्री मोहम्मद आजम खां के विरुद्ध लगाये गये आरोपों के परिप्रेक्ष्य में यह जांच समिति गठित की गई थी। जन मीडिया के सौजन्‍य से मीडियाविजिल जांच समिति के प्रतिवेदन के उस संपादित अंश को प्रस्तुत कर रहा है जिसमें न्यूज रूम के भीतर के कामकाज की संस्कृति उजागर होती है। पहली किस्‍त में स्टिंग ऑपरेशन के पीछे की राजनीति पर पोस्‍ट के बाद अब पढ़ें कि स्टिंग ऑपरेशन से जुड़े चैनल के अधिकारियों और पत्रकारों ने जांच समिति के समक्ष क्‍या बयान दिए हैं।

दीपक शर्मा

समिति के समक्ष आए साक्ष्य एवं टी.वी. टुडे नेटवर्क के विभिन्न पदाधिकारियों द्वारा किये गये अभिकथन से यह स्पष्ट होता है कि इस पूरे स्टिंग ऑपरेशन में दीपक शर्मा, एडिटर, स्पेशल इंवेस्टीगेशन टीम, टी.वी. टुडे, नेटवर्क की भूमिका अत्यन्त महत्वपूर्ण थी। दीपक शर्मा ने समिति को बताया कि वह स्पेशल इंवेस्टीगेशन टीम के हेड थे तथा हेड होने के नाते उनका पूर्ण उत्तरदायित्व था। उन्होंने यह भी बताया कि स्टिंग ऑपरेशन में कैमरामैन नहीं होते हैं, वरन् इंवेस्टीगेटर रिपोर्टर ही होते हैं। यह स्टिंग ऑपरेशन स्पाई कैमरा से शूट किया गया था।

उनके अनुसार जब किसी विषय पर स्टिंग ऑपरेशन किए जाने के सम्बन्ध में रिपोर्टर सुझाव देते हैं अथवा किसी विषय पर यदि स्टिंग ऑपरेशन किए जाने के सम्बन्ध में निर्णय लिया जाता है तो उस हेतु सम्बन्धित पदाधिकारियों से सहमति ली जाती है।

उससे यह स्पष्ट होता है कि किसी स्टिंग ऑपरेशन को करने से पहले सम्बन्धित चैनल के हेड, उसके मैनेजिंग एडिटर तथा प्रस्तुत प्रकरण में स्पेशल इंवेस्टीगेशन टीम के एडिटर द्वारा निर्णय लिया जाता है। इसके साथ ही चैनल के इनपुट हेड एवं आउटपुट हेड की भी स्टिंग ऑपरेशन सम्पादित करने तथा उसको प्रसारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। सक्षम स्तर से अनुमोदन के पश्चात स्टिंग ऑपरेशन की टीम इसे सम्पादित करती है।

“आज तक” तथा “हेडलाइऩ्स टुडे” चैनल पर मुख्य रूप से इस प्रकार का प्रसारण किया गया कि मुजफ्फरनगर दंगों में जो मुख्य अभियुक्त गिरफ्तार किये गये थे उनको राजनैतिक दबाव, विशेष रूप से मोहम्मद आजम खां के निर्देश पर रिहा कर दिया गया। इन चैनलों पर स्टिंग ऑपरेशन के आधार पर यह भी प्रसारित किया गया कि मो. आजम खां के स्तर से सीधे थानाध्यक्ष को फोन करके यह कहा गया कि जो हो रहा है उसको होने दिया जाए एवं यह कि एक विशेष सम्प्रदाय के व्यक्तियों को गिरफ्तार न किया जाए।

स्टिंग ऑपरेशन की जो सी.डी. प्रसारित की गयी है उसके अवलोकन से यह स्पष्ट होता है कि किसी भी अधिकारी ने स्वयं मो. आजम खां का नाम नहीं लिया था। प्रकरण की इन परिस्थितियों एवं तथ्यों के परिप्रेक्ष्य में दीपक शर्मा से जब यह पूछा गया कि फुगाना के सेकेण्ड ऑफिसर से स्टिंग ऑपरेशन के दौरान रिपोर्टर द्वारा यह कहा गया कि उनके ख्याल से मो. आजम खां के दबाव में अभियुक्तों को छोड़ा गया होगा, क्या इस प्रकार का सुझाव दिया जाना उपयुक्त एवं विधिक है तो दीपक शर्मा की ओर से कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दिया जा सका। उन्होंने मात्र यह कहा कि यह प्रश्न हरीश शर्मा द्वारा पूछा गया था। उन्होंने यह भी कहा कि इस पूरे स्टिंग ऑपरेशन के दौरान उन्होंने स्वयं मो. आजम खां का नाम नहीं लिया। यह पूछने पर कि क्या ऐसा करना उचित है एवं क्या उनको हरीश शर्मा को ऐसा प्रश्न करने से नहीं रोकना चाहिए था तो उन्होंने उत्तर दिया कि चूंकि मो. आजम खां के नाम की चर्चा हो रही थी अतः ऐसा प्रश्न पूछा गया। दीपक शर्मा इस बात का भी कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाए कि यदि मो. आजम खां के विषय में अऩ्यत्र ऐसी चर्चा की जा रही थी कि उन्होंने अभियुक्तों को रिहा कराया था तो उसके विषय में किसी समर्थित साक्ष्य का प्रसारण क्यों नहीं किया गया? दीपक शर्मा इस सम्बन्ध में भी कोई उत्तर नहीं दे पाए कि यदि मो. आजम खां के विषय में प्रसारण किया जाना था तो उनका पक्ष क्यों नहीं लिया गया?

दीपक शर्मा के साक्ष्य में उनसे यह पूछे जाने पर क्या किसी व्यक्ति द्वारा नाम लिया जाना संवैधानिक था तो उन्होंने उसको सही ठहराया परन्तु यह पूछे जाने पर कि क्या उनकी इसमें सहमति थी, उन्होंने नकारात्मक उत्तर दिया। दीपक शर्मा द्वारा अन्यत्र पूछे जाने पर यह कहा गया कि  वह रिपोर्टर के सवाल से सहमत थे। उन्होंने इस बात से इंकार किया कि स्टिंग ऑपरेशन पूर्व निर्धारित उद्देश्यों से किया गया था। दीपक शर्मा  द्वारा अपने साक्ष्य में यह स्वीकार किया गया है कि मो. आजम खां का वर्जन न लेने से लापरवाही हुई है।

मुजफ्फरनगर दंगों के विषय में प्रथम सूचना रिपोर्ट को स्टिंग ऑपरेशन के प्रसारण में दूषित (फर्जी) बताया गया। जब श्री दीपक शर्मा से इस विषय में पूछा गया तो उनकी और से कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दिया गया कि किस आधार पर प्रथम सूचना रिपोर्ट को राजनैतिक दबाव में संशोधित करने की बात की गयी। स्टिंग ऑपरेशन में यह दर्शाया गया है कि कतिपय अभियुक्तों को राजनैतिक दबाव में रिहा कर दिया गया। दीपक शर्मा ने बताया कि इसमें राजनैतिक शब्द का प्रयोग गलत किया गया है। दीपक शर्मा अपने साक्ष्य में यह भी प्रमाणित नहीं कर पाये कि किसी वरिष्ठ व्यक्ति द्वारा फोन किये जाने के संबंध में उनके पास कोई ठोस एवं प्रामाणिक साक्ष्य है या नहीं। उन्होंने यह स्वीकार किया कि इस संबंध में अन्य कोई साक्ष्य नहीं है। दीपक शर्मा से जब यह पूछा गया कि उनके रिपोर्टर ने मात्र मो. आजम खां का नाम क्यों लिया तथा किसी अन्य सम्प्रदाय या अन्य राजनैतिक व्यक्ति का नाम क्यों नहीं लिया तो वह इस संबंध में कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाए।

दीपक शर्मा ने यह भी स्वीकार किया है कि प्रारम्भ में जो सी.डी. जांच समिति को रॉ फुटेज के रूप में उपलब्ध कराई गई थी वह रॉ फुटेज नहीं था तथा उसके पश्चात जांच समिति के निर्देशों पर जब पुनः इस आशय का निर्देश दिया गया तब रॉ फुटेज की दूसरी सी.डी. (सामग्री) टी.वी. टुडे नेटवर्क द्वारा उपलब्ध कराई गई थी। दीपक शर्मा द्वारा इस संबंध में टी.वी. टुडे नेटवर्क की ओर से की गयी त्रुटि को स्वीकार किया गया।

रिपोर्टर हरीश शर्मा

स्टिंग ऑपरेशन के एक अन्य रिपोर्टर हरीश शर्मा ने यह बताया कि मुजफ्फरनगर के दंगों के स्टिंग ऑपरेशन की टीम में तीन रिपोर्टर थे, जिसमें कि दीपक शर्मा हेड थे एवं अन्य सदस्यों में अरूण सिंह थे। हरीश ने यह भी बताया स्टिंग ऑपरेशन उन्होंने और अरूण सिंह ने दो कैमरों से शूट किया था। शर्मा वर्तमान में “आज तक” चैनल में कार्यरत नहीं हैं तथा वह “इंडिया टी.वी.” में कार्य कर रहे हैं। शर्मा ने यह स्वीकार किया है कि मोहम्म्द आजम खां के विषय में उन्होंने प्रश्न पूछा था, परन्तु इसके साथ उन्होंने यह भी बल देकर कहा कि इस प्रश्न को पूछने में टीम के तीनों सदस्यों की सहमति थी तथा इसके बारे में पूर्व में विचार कर लिया गया था। अतः शर्मा के साक्ष्य से यह स्पष्ट है कि यद्यपि प्रश्न उन्होंने पूछा था, परन्तु इसमें दीपक शर्मा की सहमति भी थी। हरीश शर्मा ने यह कहा है कि उन्होंने मोहम्मद आजम खां का नाम इस कारण पूछा था क्योंकि ऐसी चर्चा थी। इसके अतिरिक्त शर्मा अन्य कोई प्रमाण अथवा आधार नहीं दे सके कि उन्होंने ऐसा प्रश्न क्यों पूछा। शर्मा यह भी स्पष्ट नहीं कर पाये कि मोहम्मद आजम खां की चर्चा कहां थी तथा किस अधिकारी अथवा व्यक्ति द्वारा उनका नाम इस सन्दर्भ में लिया गया था।

हरीश शर्मा ने यह भी बताया कि स्टिंग ऑपरेशऩ में वह विभिन्न तथ्यों को एकत्र करते हैं, परन्तु उनको प्रसारित करने का दायित्व उनका नहीं है और न ही इसके प्रसारण में उनकी कोई भूमिका है। हरीश शर्मा द्वारा अपने मौखिक साक्ष्य में यह स्वीकार किया गया है कि उन्होंने दीपक शर्मा से यह कहा था कि मुजफ्फरनगर दंगों में राजनैतिक दबाव अथवा किसी विशिष्ट राजनैतिक दल के विषय में प्रसारण नहीं किया जाना चाहिए, जब तक कि इस विषय में गहराई से छानबीन न कर ली जाये। शर्मा द्वारा यह भी अभिकथित किया गया कि उन्होंने दीपक शर्मा को यह भी बताया था कि मोहम्मद आजम खां के विषय में अन्य साक्ष्य भी एकत्र करने चाहिए क्योंकि स्टिंग ऑपरेशन का मुख्य उद्देश्य प्रशासनिक शिथिलता थी न कि किसी राजनैतिक व्यक्ति के विषय में। हरीश शर्मा द्वारा यह स्वीकार किया गया है कि मोहम्मद आजम खां के विरुद्ध आरोप के विषय को प्रसारण में नहीं दिखाना चाहिए था तथा पर्याप्त साक्ष्य जुटाने के बाद ही उसका प्रसारण करना चाहिए था।

रिपोर्टर अरुण सिंह

स्टिंग ऑपरेशन के तीसरे रिपोर्टर अरुण सिंह द्वारा अपने मौखिक साक्ष्य में यह कहा गया है कि उन्होंने और हरीश जी ने स्टिंग ऑपरेशन को शूट किया था। अरुण सिंह द्वारा यह भी कहा गया कि प्रसारण का निर्णय एडिटोरियल का है तथा उसमें उनकी कोई भूमिका नहीं थी। सिंह ने यह स्वीकार किया कि शूटेड मैटेरियल/रॉ फुटेज में से कौन से अंश निकाले गये हैं, यह वह नहीं बता सकते, परन्तु उन्होंने कहा कि उसमें से जरूर कुछ अंश निकाले जाते हैं। अरूण सिंह द्वारा भी इस पर बल दिया गया है कि मोहम्मद आजम खां के विषय में प्रश्न पूछने के संबंध में तीनों लोगों की सहमति थी। अरूण सिंह द्वारा बल देकर अपने साक्ष्य में यह कहा गया है कि मोहम्मद आजम खां के विषय में जो आरोप लगाया गया था, वह खुलकर सामने नहीं आया था, इसलिए उन्होंने यह सुझाव दिया था कि इसको हटा दिया जाये, परन्तु वह नहीं बता सकते कि इसको क्यों नहीं हटाया गया।