महामारी ने मोदी सरकार की लाचारी सामने ला दी- कपिल सिब्बल

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तस्वीर: पीटीआई से साभार


कोरोना महामारी के दौरान गरीबों की दुर्दशा और उनको होने वाली समस्याएं हम सब के सामने हैं। इसी सिलसिले में कांग्रेस के नेता कपिल सिब्बल ने एक वीडियो कांफ्रेंसिंग कर के भाजपा सरकार पर और उनके द्वारा किये गए कार्यों पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने सरकार द्वारा 28 लाख लोगों की मदद करने के दावे पर कहा कि इस महामारी में 12 करोड़ लोग अपना रोजगार गंवा बैठे हैं और सरकार का दावा है कि वो 28 लाख लोगों को मदद दे रही है। वीडियो कांफ्रेंसिंग से प्रेस वार्ता करते हुए कपिल सिब्बल ने कई ज़रूरी और अहम बातें कहीं हैं।

कोरोना में भाजपा सरकार

सरकार देश के जिस भाईचारे को खत्म कर रही थी। वो कोरोना महामारी के बाद और बढ़ कर सामने आया है। सब एक-दूसरे की मदद कर रहे हैं। लोगों द्वारा अपने स्तर पर प्रवासी मजदूरों की मदद की गयी है। सरकार गरीबों और विकास की बात करती  हैं। मगर लोग गरीबी में ही मर रहे हैं। सरकार गरीबों से सामाजिक दूरी बना रही है । हमें एक भारत चाहिए अनेक भारत नहीं। जनता ने सरकार को दिखा दिया कि सरकार कैसे चलती है।

पीएम केयर्स फंड

कपिल सिब्बल ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान गरीब मजदूरों की ट्रेन में सड़क हादसों में मृत्यु हो गयी है। लोग भूख से मर रहे हैं। क्या प्रधानमंत्री मोदी हमें बता सकते हैं कि उन्होंने पीएम केयर्स फंड से कितना पैसा मजदूरों को दिया है ? मैं उनसे अनुरोध करता हूँ कि वो इस सवाल का जवाब दें। प्रधानमंत्री बाताएं कि प्रवासियों को इस फंड से कितनी मदद मुहैया करायी गयी है।

प्रवासी मजदूरों के आंकड़े और भुखमरी

कपिल सिब्बल ने कहा कि मोदी सरकार को ये भी नहीं पता कि देश में कितने मजदूर हैं ? कोई डेटा सरकार के पास उपलब्ध नहीं है। 2011 के डेटा से भाजपा सरकार काम चला रही है। उसके हिसाब से तो 6 करोड़ मजदूर हैं। उसके बाद भी  मजदूरों की संख्या बढ़ी है लेकिन कितनी ? इसका कोई आंकड़ा भाजपा सरकार के पास नहीं है। जब डेटा ही नहीं होगा तो आप कैसे राहत दे रहे हैं ? 14 मई की रिपोर्ट के मुताबिक 73 लोगों की मौत की वजह भुखमरी है। और सरकार कह रही है कि हमने भुखमरी कम कर दी है। विश्व के 117 देशों के भुखमरी के इंडेक्स में भारत 102 नंबर पर है। देश में 85 प्रतिशत लोग आज भी दस हज़ार रुपये से कम की कमाई करते हैं और 50 प्रतिशत लोगों की कमाई 5 हज़ार से भी कम है। बेरोजगारी बढ़ गयी है।

जजों के तबादले और पत्रकारों को वल्चर कहे जाने पर  

कपिल सिब्बल ने अपनी प्रेस कांफ्रेंस में जजों को बदले जाने को लेकर कहा, यदि कोई जज सरकार से सवाल कर दे या कोई सख्त टिपण्णी कर दे तो उसका तबादला कर दिया जाता है। उन्होंने ये भी कहा कि सरकार का कहना है कि राज्यों के हाईकोर्ट एक समानांतर सरकार चलाते हैं। ये कहना सिर्फ़ आपके घमंड को दर्शाता है। और घमंड से सरकारें नहीं चलतीं। गुजरात में राज्य सरकार द्वारा स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर सख्त रवैया अपनाने वाले जजों की बेंच में बदलाव कर दिया जाता है। जज हटा दिए जाते हैं। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की एक टिपण्णी को लेकर कपिल सिब्बल ने कहा कि अगर आप पत्रकार को वल्चर कहेंगे तो इसका मतलब है कि आप अपना कल्चर भूल गए हैं।

यूएपीए कानून 

कपिल सिब्बल ने कहा कि 24 मार्च के बाद से सरकर का एजेंडा ही बदल गया है। शिक्षा, स्वास्थ्य, ग़रीबी हटाने का एजेंडा कहां था ? मई 2019 से 24 मार्च का सीएए, पापुलेशन रजिस्टर, धारा 370, ट्रिपल तलक जैसे मुद्दे थे। जिसे ध्रुवीकरण किया जा सके। उसके बाद जामिया और जे.एन.यू के छात्रों पर यूएपीए कानून लगा दिया जाता है। जबकि कहा गया था कि ये कानून आतंकवादियों पर लगाया जायेगा लेकिन आप देखिये कि इन्होने रिसर्च स्कॉलर, फ़ोटो जर्नलिस्ट सामाजिक कार्यकर्ता और छात्रों पर यूएपीए लगा दिया। इस महामारी ने सरकार की लाचारी दिखा दी है। दुनिया में सबसे बाहुबली भी इसका सामना नहीं कर सका।

अचानक किये जाने लॉकडाउन पर

कपिल सिब्बल ने कहा कि सरकार की तरफ़ से हर रोज़ एक नई एडवाइजरी जारी कर दी जाती है। एक के बाद दूसरी आती रहती है। चार घंटे में लॉकडाउन लागू करने वाली सरकार को अब पता नहीं चल रहा है कि उन्हें किस रास्ते जाना है ?

कोरोना महामरी के दौरान कांग्रेस पार्टी और उसके नेताओं की तरफ़ से सोशल मीडिया का उपयोग करके, लोगों की मदद की जा रही है। साथ ही कांग्रेस कई मुद्दों पर सरकार को घेरने का भी काम सोशल मीडिया के माध्यम से कर रही है। स्पीक-अप अभियान के तहत भी कांग्रेस के लाखों कार्यकर्ताओं ने कोरोना महामारी, सरकार के कार्यों, मजदूरों की समस्या और उनको दी जाने वाली सुविधाओं से जुड़े कई विषयों पर अपनी राय रखी थी।


 


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