इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रों पर लाठीचार्ज, छात्र ने की आत्मदाह की कोशिश !

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इलाहाबाद विश्वविद्यालय में आज अपनी तमाम माँगों को लेकर कुलपति से मिलने की माँग कर रहे छात्रों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया। एक आहत छात्र ने वहीं आत्मदाह की कोशिश की। 60 फ़ीसदी तक जले इस छात्र की हालत गंभीर है। पेश है पूरे राजन विरूप की रिपोर्ट-

देश भर के शिक्षण संस्थानों में चल रहे दमन चक्र के ‘गुलेटिन’ का शिकार इलाहाबाद विश्वविद्यालय के बी.ए. थर्ड ईयर के छात्र मुहम्मद जाबिर भी हो गए. उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा छात्रों की समस्याओं के प्रति तिरस्कारपूर्ण रवैये से तंग आकर अपने को आग के हवाले कर दिया. फिलहाल उनको इलाहाबाद के अलका अस्पताल में भर्ती कराया गया है. जहाँ पर उनकी हालत गंभीर बनी हुई है. डाक्टरों का कहना है कि साठ प्रतिशत जल जाने के कारण वे अभी कुछ नहीं कह सकते.

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के वी.सी. हांगलू और उनके कृपापात्र विश्वविद्यालय के प्रशासनिक अधिकारी लगातार छात्रों को परेशान कर रहे हैं. अपनी समस्याओं को ले कर प्राक्टर के पास जाने पर प्राक्टर छात्रों से धक्कामुक्की करते हैं. छात्रों को बाबुओं की तरह ऑफिस दर ऑफिस दौड़ाया जाता है. अभी हाल में जब आइसा छात्र संगठन के लोग उनसे मिलने के लिए गए थे. तो प्राक्टर महोदय का कहना था कि आप लोग विश्वविद्यालय छोड़ दीजिए और जहां लाइब्रेरी अच्छी हो वहां चले जाईये. ध्यातव्य है कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय एक ऐसा विश्वविद्यालय है जहां छात्रों को लाइब्रेरी से पढ़ने के लिए किताबें तक इश्यु नहीं की जातीं. सबसे बड़ी परेशानी की बात यह है कि इनकी शिकायत आप वी.सी. से भी नहीं कर सकते क्योंकि हंगालू साहब को छात्र-छात्राओं से मिलना बिलकुल भी पसंद नहीं.

जाबिर द्वारा आत्मदाह का प्रयास भी इन्हीं परिस्थियों की भयावह और दुर्दांत परिणति है. आज भी, फोरम फॉर कैंपस डेमोक्रेसी (FCD- आइसा, आई.सी.एम., डी.एस.ए., भारतीय विद्यार्थी मोर्चा, दिशा छात्र संगठन) की ओर से छात्रों के इन्हीं सवालों को लेकर एक जनसभा का आयोजन किया गया था. इस दौरान छात्रों की समस्याओं और विश्वविद्यालय में लगातार सिकुड़ते जा रहे लोकतान्त्रिक स्पेस के विरोध में जनसभा के उपरांत जब छात्र शांतिपूर्ण जुलूस की शक्ल में वी.सी. साहब से मिलने पहुंचे तो हंगलू साहब की छात्रों से ‘घृणा करने वाली परंपरा’ के अनुसार छात्रों की बातों को तवज्जो नहीं दी गई. उनको प्राक्टर की तरफ से रटा-रटाया जवाब दिया गया कि वी.सी. साहब छुट्टी पर हैं. फिर जब छात्रों ने कार्यवाहक वी.सी. से मिलने की मांग की तब पहले तो प्रशासन ने टरकाने की कोशिश की और फिर पुलिस बुला ली गई. इसके बाद कार्यवाहक वी.सी. का धमकी भरा संदेश आया कि भले ही विश्वविद्यालय जल जाए लेकिन वे छात्रों से बात करने नहीं आयेंग. इसके बाद जब छात्र वी.सी. ऑफिस पर धरने पर बैठ गए तो विश्वविद्यालय प्रशासन ने पुलिस से लाठी चार्ज करवा दिया. इस लाठी चार्ज में कई छात्राओं को भी चोट लगी. विश्वविद्यालय के एक गार्ड ने आइसा की नेता पूजा को भी लाठियों से पीटा. विश्वविद्यालय प्रशासन की इस घटिया और बर्बर हरकत से छात्रों का शांतिपूर्ण प्रदर्शन उग्र हो गया. छात्रों ने वी.सी. ऑफिस का ताला तोड़ दिया और कार्यवाहक वी.सी. चोर दरवाजे से भाग खड़े हुए. विश्वविद्यालय प्रशासन के इस उपेक्षापूर्ण व दमनात्मक रवैये से क्षुब्ध और निराश हो कर जाबिर ने अंततः अपनी आहुति दे देनी चाही.

इलाहाबाद विश्वविद्यालय में आज जो कुछ घटित हुआ, वह जेएनयू के वी.सी. और वहां के प्रशासनिक रवैये बरबस याद दिला देता है. विश्वविद्यालयों में छात्रहित के लिए काम करने का दम भरने वाले तमाम वी.सी. छात्रों के प्रति घोर उपेक्षापूर्ण रवैया अख्तियार किए हुए हैं. उनका काम सिर्फ एक है- केंद्र सरकार की छात्र विरोधी नीतियों को विश्वविद्यालय पर थोपना और कैम्पस के लोकतांत्रिक स्पेस को ख़त्म कर देना. विश्वविद्यालय के कार्यवाहक वी.सी. की जुबान काली साबित हुई. जिसके फलस्वरूप एक छात्र, जो ‘पूरब के ऑक्सफोर्ड’ में अपनी सफल और जिंदगी के खूबसूरत भविष्य का सपना संजोये था, आज मौत की अंधकारा में चंद सांसों के लिए जूझ रहा है.


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